Teacher's day on 5 September (शिक्षक दिवस 5 सितम्बर)
आप सभी साथियो को शिक्षक दिवस की बहुत -बहुत शुभकामनाएं , मैं आशा करता हूं आप सभी कुशल मंगल होंगे.....
हम इस article की शुरुआत सबके प्रिय शिक्षक (teacher) डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारो से करते हैं।
" शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.''
हमारे देश के द्वितीय (second) अद्वितीय राष्ट्रपति डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन (5 सितम्बर) को प्रतिवर्ष 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन समस्त देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता हैl
Image source:- Wikipedia
जन्म के समय उनके परिवार में किसी ने यह नहीं सोचा था कि भौतिकता से दूर उस परिवार में जन्मा बालक एक दिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर विश्वमंच पर भारत देश का प्रतिनिधित्व करेगा।
जन्म :- (5 September 1888 ) चेन्नई, भारत
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अलग-अलग तारीख पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे |
डॉ॰ राधाकृष्णन एक ग़रीब किन्तु विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरासमियाह' और माता का नाम 'सीताम्मा' था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। उन पर बहुत बड़े परिवार के भरण-पोषण का दायित्व था। वीरास्वामी के पाँच पुत्र तथा एक पुत्री थी। राधाकृष्णन का स्थान इन सन्ततियों में दूसरा था। उनके पिता काफ़ी कठिनाई के साथ परिवार का निर्वहन कर रहे थे। इस कारण बालक राधाकृष्णन को बचपन में कोई विशेष सुख प्राप्त नहीं हुआ।
5 sep को शिक्षक दिवस क्यो :-
Why Teacher's day on 5 september)
डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी प्रतिभा से सबको चौंका दिया, और एक शिक्षक के रूप में अज्ञानता का अंधेरा हटाकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने के प्रति हमेशा समर्पित रहे। आज उनके जन्म को 132 वर्ष बीत चुके हैं, आज हर क्षेत्र में भौतिकता हावी है। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है, वह भी अब व्यवसाय बन चुका है। आज पैसा इस कदर हावी हो चुका है कि शिक्षकों की भी प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना बन चुकी है।
उपाधियाँ (Achievements):-
जब डॉ॰ राधाकृष्णन यूरोप एवं अमेरिका प्रवास से पुनः भारत लौटे तो यहाँ के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियाँ प्रदान कर उनकी विद्वत्ता का सम्मान किया। 1928 की शीत ऋतु में इनकी प्रथम मुलाक़ात पण्डित जवाहर लाल नेहरू से उस समय हुई, जब वह कांग्रेस पार्टी के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिये कलकत्ता आए हुए थे। यद्यपि सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय शैक्षिक सेवा के सदस्य होने के कारण किसी भी राजनीतिक संभाषण में हिस्सेदारी नहीं कर सकते थे, तथापि उन्होंने इस वर्जना की कोई परवाह नहीं की और भाषण दिया। 1929 में इन्हें व्याख्यान देने हेतु 'मानचेस्टर विश्वविद्यालय' द्वारा आमन्त्रित किया गया।
वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च भारत रत्न से अलंकृत किया था। उनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
✍️ सन 1952 से 1962 तक प्रथम भारत के उपराष्ट्रपति(Voice President) रहे। | |||||
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✍️ सन् 1931 से 36 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।
✍️ ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे।
✍️ सन् 1939 से 48 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।
✍️ 1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 10 विचार :-
(Dr. Sarvapalli Radhakrishnan 10 quotes)
1. ''शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.''
2. ''हमें तकनीकी ज्ञान के अलावा आत्मा की महानता को प्राप्त करना भी जरूरी है.''
3. ''पुस्तकें वह माध्यम हैं, जिनके जरिये विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण किया जा सकता है.''
4. ''ज्ञान के माध्यम से हमें शक्ति मिलती है. प्रेम के जरिये हमें परिपूर्णता मिलती है.''
2. ''हमें तकनीकी ज्ञान के अलावा आत्मा की महानता को प्राप्त करना भी जरूरी है.''
3. ''पुस्तकें वह माध्यम हैं, जिनके जरिये विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण किया जा सकता है.''
4. ''ज्ञान के माध्यम से हमें शक्ति मिलती है. प्रेम के जरिये हमें परिपूर्णता मिलती है.''
5 ''भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं.''
6. ''कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो. किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए.''
7. ''शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.''
8. ''शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.''
9. ''किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है.''
10. ''शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है.''
6. ''कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो. किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए.''
7. ''शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.''
8. ''शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.''
9. ''किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है.''
10. ''शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है.''
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु :-
(Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Death)-
17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया. शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेंशा याद किया जाता है. इसलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है. इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए पुरुस्कार प्रदान किए जाते हैं. राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेंरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है।
शिक्षा पर कुछ महान लोगो के कथन :
" यह रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाने के लिए शिक्षक की सर्वोच्च कला है।"
- अल्बर्ट आइंस्टीन
"एक अच्छा शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह है - यह खुद को दूसरों के लिए प्रकाश में लाने के लिए उपयोग करता है।"
- मुस्तफा केमल अतातुर्क
"अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है और सुंदर दिमागों का देश बनना है, तो मुझे दृढ़ता से लगता है कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं जो फर्क कर सकते हैं। वे पिता, माता और शिक्षक हैं।"
- डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
"हम याद रखें: एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक दुनिया को बदल सकते हैं।"
- मलाला यूसूफ़जई
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